भगवान् कृष्ण बोले-हे युधिष्ठिर ! बैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम बरूथिनी है। इसका व्रत महाफल दायक है।

शास्त्र का लेख हाथी घोड़ों भी दान को उत्तम कहता है भूमि से तिल दान, तिल से स्वर्ण दान और स्वर्ण दान से अन्नदान श्रेष्ठ है। अन्न से, कन्या से, बरूथिनी एकादशी का व्रत श्रेष्ठ है। जो फल कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण के समय स्वर्ण दान से मिलता है वह बरूथिनी एकादशी के व्रत से होता है।

इस एकादशी के व्रती को दशमी में संयम करना चाहिए। कन्यादान, भोजन करे, माँस मसूर की दाल, प्याज आदि निषेध वस्तुओं का त्याग करें और रात्रि को स्त्री का स्मरण न करें जुआ, क्रोध मिथ्या भाषण इत्यादि कुकर्मों से दूर रहें। इस विधि से व्रत करने वाल पर यमराज प्रसन्न होता है ।

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