भगवान् कृष्ण बोले -हे युधिष्ठिर ! फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम विजया है विजय को देने वाली है । मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने इसी व्रत के प्रभाव से लंका को विजय किया। कथा ऐसे है--जब भगवान् राम कपि दल के सहित सिन्धु तट पर पहुँचे तो रास्ता रुक गया समीप में एकदालभ्य मुनि का आश्रम था जिसने अनेकों ब्रह्मा अपनी आँखों से देखे थे ! ऐसे चिरंजीव मुनि के दर्शनार्थ सहित, सेना सहित, राम, लक्ष्मण जी चले।
 
शरण में जाकर मुनि को दंडवत प्रणाम करके समुद्र से पार होने का उपाय पूछा मुनि बोले--कल विजया एकादशी है उसका व्रत आप सेना सहित करो समुद्र से पार होने का तथा लंका को विजय करने का से सुगम उपाय यह है ।
 
मुनि की आज्ञा से राम, लक्ष्मण ने सेना सहित विजया एकादशी का व्रत किया, रामेश्वर का महात्म्य पूजन किया। मैंने तो तेरे सामने प्रकट कही है, क्योंकि तू धर्मात्मा है । इस महात्म्य को सुनने से हमेशा विजय होती है ।

 

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